Kavtia: समय
समय ये जो बीत गया,
क्या कभी वापस आएगा!
जो हम लोग ने खोया पाया,
क्या कभी वापस आ पायेगा!
समय ये जो बीत गया ,
हमें बाद मै जरुर रुलायेगा!
सुखी और संपन्न लोगो को,
बहुत हसाएगा ये समय!
मेरे जैसे भाग्यहीन गरीब लोगो को,
पल पल रुलायेगा ये समय!
ये जो बीत गया समय,
कभी वापस नहीं आता!
जैसे हर वर्ष कलेंडर बदलते है,
वैसे पल पल समय के साथ,
इस दुनिया मै लोगो के नए चेहरे बदलते है!
हर चेहरे के पीछे एक नया चेहरा,
जो समय के साथ बदलता है!!
समय ये जो बीत गया,
कभी न वापस आया है,
और इस दुनिया मै जो समय के पीछे भागे,
उन्ही के भाग समय से जागे!!
तभी तो कवि अभिषेक कहते है
समय बड़ा बलवान है,
Mahendra Mahara (Abhishek)
Thursday, October 14, 2010
नाम,काम और पहचान
Meri New Kavita:
नाम है तेरा, नाम है मेरा,
लेकिन नाम मे रखा ही क्या,
जब नाम न लेने वाला ना हो कोई तेरा मेरा|
किसी के आगे स्टार है,
तो किसी के आगे महा स्टार है,
किसी के नाम के आगे खिलाड़ी है,
तो कोई खिलाड़ियो का खिलाड़ी है|
एक है ऐसे लोगो का नाम,
जिनके नाम है इस देश की पहचान,
जैसे गाँधी, नेहरू,भगत सिंह, पटेल,
एक है हम जैसे लोगो का नाम,
जिनकी नही है कोई पहचान|
कुछ नाम ऐसे होते है,जिनके नाम लेते ही,
मन मे एक पहचान प्रकट हो जाती है,
कुछ नाम ऐसे होते है,
जिनके नाम को सुनकर घ्रणा हो जाती है|
पर आजकल नाम बदनामी के ही ज़्यादा होते है,
लोग बदनामी वाले नाम से डरते नही,
बदनामी वाले नामो को ही गले लगाते है|
इसलिए नाम के आगे ना भागो,
अच्छे काम के आगे भागो,
दुनिया मे ऐसा काम कर दो,
की दुनिया नाम सदा याद रखे तुम्हारा|
तभी तो कवि "अभिषेक" कहते है,
प्यारे अपने नाम इतना उचा रखो की,
हिमालय पर्वत भी छू ना सके ,
इतना चमकदार नाम बनाओ की,
सूरज की रोशनी भी फीकी पड़ जाए|
महेंद्र सिंह उत्तराखंडी (अभिषेक),
नाम है तेरा, नाम है मेरा,
लेकिन नाम मे रखा ही क्या,
जब नाम न लेने वाला ना हो कोई तेरा मेरा|
किसी के आगे स्टार है,
तो किसी के आगे महा स्टार है,
किसी के नाम के आगे खिलाड़ी है,
तो कोई खिलाड़ियो का खिलाड़ी है|
एक है ऐसे लोगो का नाम,
जिनके नाम है इस देश की पहचान,
जैसे गाँधी, नेहरू,भगत सिंह, पटेल,
एक है हम जैसे लोगो का नाम,
जिनकी नही है कोई पहचान|
कुछ नाम ऐसे होते है,जिनके नाम लेते ही,
मन मे एक पहचान प्रकट हो जाती है,
कुछ नाम ऐसे होते है,
जिनके नाम को सुनकर घ्रणा हो जाती है|
पर आजकल नाम बदनामी के ही ज़्यादा होते है,
लोग बदनामी वाले नाम से डरते नही,
बदनामी वाले नामो को ही गले लगाते है|
इसलिए नाम के आगे ना भागो,
अच्छे काम के आगे भागो,
दुनिया मे ऐसा काम कर दो,
की दुनिया नाम सदा याद रखे तुम्हारा|
तभी तो कवि "अभिषेक" कहते है,
प्यारे अपने नाम इतना उचा रखो की,
हिमालय पर्वत भी छू ना सके ,
इतना चमकदार नाम बनाओ की,
सूरज की रोशनी भी फीकी पड़ जाए|
महेंद्र सिंह उत्तराखंडी (अभिषेक),
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