Tuesday, March 31, 2009

आठों कौतिक धार्मिक मेला

चौखुटिया, अल्मोडा क्षेत्र का प्रसिद्घ धार्मिक मेला 'आठों कौतिक' बुधवार 1 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इस बार यह मेला तीन दिनों तक चलेगा तथा इस दौरान प्रसिद्घ लोक कलाकार कुमाऊंनी व गढ़वाली लोक संस्कृति के रंग बिखेरेगे। साथ ही पारंपरिक लोक विधायें छोलिया नृत्य, छपेली, श्रंकार व भगनौल की प्रस्तुति देखने को मिलेगी। इसके लिये समिति द्वारा व्यापक तैयारियां चल रही है।

मेले का शुभारंभ 1 अप्रैल को 11 बजे प्रमुख मीना कांडपाल तथा जीएस मटियानी द्वारा दीप प्रच्चवलित कर होगा। इसके बाद बरलगांव महिला समूह द्वारा मैया की आरती के साथ ही झोड़ा-नृत्य वहीं लोक गायक हीरा सिंह राणा एंड पार्टी द्वारा रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जायेगी। सायं अन्य टीमों की ओर से कार्यक्रम होंगे। दूसरे दिन सुप्रसिद्घ गायिका कल्पना चौहान व राजेन्द्र चैहान सहित अन्य स्थानीय कलाकार व स्कूली बच्चे अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

मुख्य मेला 3 अप्रैल को लगेगा तथा मुख्य आकर्षक बलि प्रथा होगी। इस बार भटकोट थोक की ओर से नगाड़े निशानों के साथ बलि के लिये मेला स्थल पर भैंसा-जतिया लाया जायेगा तथा प्रथानुसार अगला बीड़ा उड़लीखान थोक द्वारा ग्रहण किया जायेगा। सायं पुरस्कार वितरण के साथ ही मेला को समापन होगा। इस बीच समिति के लोग व्यापक तैयारी में जुटे है।
जागरण.इन

Friday, March 27, 2009

हिमालय पर पड़ा ग्लोबल वॉर्मिंग का पहला असर

ग्लोबल वॉर्मिंग का सबसे पहला असर संभवत: हिमालय के ग्लेशियरों पर पड़ा था। एक नई स्टडी के मुताबिक 18वीं शताब्दी के मध्य से ही ये ग्लेशियर पिघलने शुरू हो गए थे। उत्तराखंड में प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के पास चोराबारी ग्लेशियर में मोरैन की स्टडी करके विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं। मोरैन मिट्टी और पत्थरों के इकट्ठा होने से बनते हैं। यह स्टडी वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के रवींद्र कुमार चौजर के नेतृत्व में एक टीम ने की है।

इन मौरेन में 2 हजार लाइकेंस (एक प्रकार का जीव) पाए गए। इन लाइकेंस का ग्रोथ रेट और वातावरण के संपर्क में आने के बाद इनके बढ़ने में लगने वाले समय से पता चलता है कि इस इलाके में मौसम में परिवर्तन 258 साल पहले शुरू हो गया था। चौजर ने दावा किया कि चोराबारी ग्लेशियर 14वीं शताब्दी के मध्य में बनना शुरू हो गया था और 1748 ई. तक यह प्रक्रिया चलती रही।
पीटीआई

Thursday, March 26, 2009

चार धाम यात्रा की तैयारियां

ब्रदीनाथ के कपाट 1 मई को खुलेंगे। चार धाम यात्रा की तैयारियों में प्रशासन जुट गया है। इन तैयारियों के लिये उपजिलाधिकारी ने सभी विभागों की बैठक बुलायी है। उनसे इस बैठक में कहा गया कि राष्ट्रीय राज्य मार्ग की व्यवस्थ दुरुस्त हो। चार धाम यात्रा के लिये प्रशासन सतर्क है।27 अप्रैल को गंगोत्री-यमनोत्री और 30 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खुल जायेंगे।
धाम यात्रा के लिए भले ही तैयारियां जोरों पर हों, लेकिन सचाई यह है कि इस बार मार्गो के बिना ठोस सर्वे किए ही यह यात्रा शुरू की जा रही है। बीते वर्ष इन मार्गो पर साढ़े पांच सौ से ज्यादा डेंजर जोन चिह्नित किए गए थे। इन्हीं के आधार पर सुरक्षा की तैयारी की जा रही है। पिछले यात्रा सीजन के बाद हुई बरसात में कई और नए स्थान डेंजर जोन के रूप में उभरे हैं, लेकिन इसकी जानकारी शायद ही विभाग के पास हो। ऐसे में चार धाम यात्रा कितनी सुरक्षित होगी, यह अंदाजा लगाया जा सकता है।

चार धाम यात्रा को कुछ ही समय रह गया है। इसके लिए संबंधित महकमों की तैयारियां जोरों पर हैं। बसों की व्यवस्था से लेकर सड़कों की मरम्मत के लिए परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग व सीमा सड़क संगठन को निर्देश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन इस वर्ष यात्रा से पहले यात्रा रूटों का ठोस सर्वे न तो पुलिस और न ही परिवहन विभाग ने किया है। अभी तक रूट प्लानिंग पुराने डेंजर जोन को ध्यान में रख कर ही की गई है। प्रतिवर्ष परिवहन विभाग और पुलिस अपने-अपने स्तर से चार धाम यात्रा रूटों का सर्वे कराकर तैयारी करते हैं। महकमे इसकी रिपोर्ट शासन को सौंपते हैं। रिपोर्ट में सड़को की स्थिति, चौड़ीकरण, पिटवाल, रेलिंग, पैराफिट आदि की स्थिति का उल्लेख होता है। इसी हिसाब से तैयारियां की जाती हैं। देहरादून-गंगोत्री, उत्तरकाशी- यमनोत्री, ऋषिकेश-सोनप्रयाग और हरिद्वार-बदरीनाथ मार्ग का सर्वे किया जाता है। हर वर्ष इन मार्गो पर डेंजर जोन की संख्या घटती-बढ़ती है। इससे रूट की स्थिति स्पष्ट हो जाती है। इसी आधार पर तैयारियां की जाती हैं। इस वर्ष यात्रा मार्गो पर कितने डेंजर जोन घटे व बढ़े, इसकी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। बीते वर्ष के हिसाब से ही तैयारियां की जा रही हैं। हालांकि अपर परिवहन आयुक्त विनोद शर्मा कहते हैं कि परिवहन आयुक्त व अन्य अधिकारियों के अलावा वे भी यात्रा रूटों की स्थिति का निरीक्षण कर चुके हैं। सीमा सड़क संगठन और लोनिवि को दस अप्रैल तक सभी कार्य दुरुस्त करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
सोर्स: इन जागरण.com

Wednesday, March 25, 2009

नैनीताल पर्यटन में सीजन में हनुमानगढ़ी में पार्क होंगी बसें


नैनीताल। पर्यटन सीजन में वाहनों की पार्किग समस्या से चिंतित प्रशासन ने नगर में नए पार्किग स्थलों की खोज शुरू कर दी है। डीएम हरिताश गुलशन व एसएसपी दीपम सेठ ने नगर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर पार्किग स्थलों के संबंध में विचार-विमर्श किया। तय किया गया कि हल्द्वानी रोड से आने वाले बड़े वाहनों को बस स्टेशन में सवारी उतारने के बाद हनुमानगढ़ी में पार्क किया जाएगा।

डीएम हरिताश गुलशन ने कहा है कि पर्यटन सीजन के दौरान पार्किग की समस्या को देखते हुए छोटे-छोटे पार्किग स्थलों का चिन्हीकरण किया जाएगा। उन्होंने भवाली रोड पर निर्माणाधीन बाईपास व फांसी गधेरे के अलावा फ्लैटं मैदान स्थित पार्किग में वाहनों को खड़ा करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए। चिड़ियाघर जाने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए माल रोड में इंडिया होटल के समीप टिकट काउंटर खोलने का निर्णय लिया गया। पर्यटकों को वहां से लाने व ले जाने की व्यवस्था की जाएगी। टिकट में टैक्सी किराया भी शामिल होगा।

एसएसपी दीपम सेठ ने कहा कि चिड़ियाघर मार्ग पर ट्रैफिक पुलिस की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाएगी। इंडिया होटल के समीप खड़े वाहनों को पार्किग स्थलों पर भेजा जाएगा। डीएम के अनुसार फांसी गधेरे में कम से कम 20-25 वाहनों को पार्क करने के लिए पर्याप्त स्थान है। उन्होंने फांसी गधेरा के समीप भवन सामग्री डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने व वहां पर पार्किग बनाने के निर्देश पालिका प्रशासन को दिए है।

Tuesday, March 24, 2009

अल्मोड़ा के नौले

चंद राजाओं की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक परंपराओं व धरोहरों को समेटे अल्मोड़ा नगर कभी नौलों के नगर के नाम से जाना जाता था। घोड़े की पीठ के आकार में बसे इस नगर के दोनों ओर प्राकृतिक जल स्रोत के 110 छलकते स्वच्छ व निर्मल जल से परिपूर्ण नौले हुआ करते थे।

विकास की अंधी दौड़ व समय की मार ने अधिकांश नौले नेस्तनाबूद से कर दिए हैं। अब बमुश्किल पूरे नगर में 20 नौले शेष हैं। अधिकांश नौलों का पानी इतना दूषित हो चुका है कि वह पीने योग्य ही नहीं रहा है। ऐसा ही एक नौला है जो रम्फा नौला के नाम से जाना जाता था। जिसमें शैल ग्राम से पानी छोड़ा गया था। इसका निर्माण 1887 में बद्रेश्वर जोशी द्वारा बद्रेश्वर के शिव मंदिर के निर्माण के साथ किया गया था। इस बात का खुलासा पर्वतीय जल स्रोत के लेखक प्रफुल्ल कुमार पंत ने 1993 में नौलों पर लिखी गई पहली पुस्तक में किया है।

नगर के नौलों के शोधकर्ता प्रफुल्ल कुमार पंत का कहना है कि पूर्व में नगर के आसपास व नगर में प्राकृतिक रूप से संपन्नता थी। विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे थे। जिसके कारण नगर के हर ढाल में प्राकृतिक जलस्रोत बिखरे हुए थे। जिनमें से कुछ नौलों का निर्माण तत्कालीन चंद राजाओं ने कराया। तो कुछ का निर्माण नगर के संपन्न परिवार के लोगों ने किया था। लेकिन वनों के कटान के साथ ही धीरे-धीरे जलस्रोत सूखने लगे। जिसके कारण नौले अनुपयोगी होते गए और लोग उन्हें भूल गए।

दूसरी ओर विकास की दौड़ के साथ जगह-जगह बने सीवरेज टैंक के कारण बचे नौलों का पानी दूषित हो रहा है। यदि नगर में विधिवत सीवरेज लाइन की निकासी बनाई जाए तो परीक्षण के बाद बचे नौलों का पानी पीने योग्य हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक सीवरेज की विधिवत व्यवस्था नहीं की जाती तब तक नौलों के भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। उनका कहना है कि घटते नदियों के जल स्तर को देखते हुए जरूरी होगा कि परंपरागत जलस्रोतों के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाया जाए।
नौले को बचाने के लिए हम लोगो को भी आगे आना पड़ेगा और सभी को जागरुक करना पड़ेगा तभी हम अपने उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक परंपराओं व धरोहरों को समेटे इन नौलों को बचा सकते है।

Monday, March 23, 2009

नैनों एक लाख की कार का सपना सच हो गया


अब हमारे और आपके लिए सिर्फ एक लाख की कार का सपना सच हो गया है। रतन टाटा ने बनाई है दुनिया की सबसे सस्ती कार। रतन टाटा ने देश के सवा सौ करोड़ लोगों से किया गया अपना वायदा पूरा कर दिखाया है। मुंबई में बड़े धूमधाम से सपनों की नैनों को देश के लोगों के सामने रखा गया।


बाजार में नैनो के तीन वैरिएंट उतारे जाएंगे। इसमें बेस मॉडल के अलावा नैनो CX और नैनो LX होगी। नैनो का बेस मॉडल तीन रंगों में होगा। इसका बंपर और आउटर रियर व्यू मिरर ग्रे यानि भूरे रंग का होगा। हालांकि नैनो के बेस मॉडल में आपको मैटेलिक कलर नहीं मिलेंगे। मैटेलिक कलर पसंद करने वालों के लिए है नैनो CX और नैनो LX।

कहां और कैसे होगी बुकिंग
शोरूम में ये कार 1 अप्रैल से दिखने लगेगी। नौ से 25 अप्रैल तक बुकिंग जारी रहेगी। जुलाई के कार की डिलीवरी आरंभ हो जाएगी। बुकिंग के लिए फॉर्म के लिए आपको कीमत देनी होगी महज 300 रुपए। टाटा मोटर्स के किसी भी डीलर के पास तो आप कार बुक कर ही सकते हैं। टाटा के स्टोर बेस्टसाइड, क्रोमा और टाइटन शोरूम में भी नैनो की बुकिंग का इंतजाम किया गया है। इसके अलावा आप नैनो की ऑनलाइन बुकिंग http://www.tatanano.com/ पर भी कर सकते हैं। टाटा मोटर्स के मुताबिक आप देशभर में एक हजार शहरों में तीस हजार से ज्यादा जगहों पर नैनों की बुकिंग का फॉर्म खरीद सकते हैं। जहां से फॉर्म खरीदा जाएगा उसे वहीं पर जमा करना होगा या फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में भी जमा किया जा सकेगा।


नैनों की बुकिंग के लिए ग्राहकों को एप्लीकेशन फॉर्म में सारी जानकारियां देनी होंगी। किस रंग की कार चाहिए और किस डिलर से डिलीवरी लेनी है ये भी भरना होगा। एप्लीकेशन में एक बार कार का रंग भरने के बाद बदलवाने में मुश्किल होगी। ग्राहकों को एप्लीकेशन के साथ PAN कार्ड और एड्रेस प्रूफ भी देना होगा। प्रूफ देने के लिए आप वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट या फिर ड्राइविंग लाइसेंस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

अगर आप बुकिंग की पूरी रकम एकमुश्त देना चाहते हैं तो आपकी मर्जी लेकिन आप चाहें तो बुकिंग की रकम फाइनेंस भी करवा सकते हैं। टाटा मोटर्स ने इसके लिए 15 से ज्यादा बैंकों से कॉन्ट्रैक्ट किया है। बैंक के जरिए नैनो को बुक करने के लिए आपको खर्च करने पड़ेंगे सिर्फ 2999 रुपए। बुकिंग कराने के बाद भी एक साल तक कार न मिलने पर 8.5 प्रतिशत का और दो साल तक कार न मिलने पर 8.75 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा।

पहली खेप में करीब 100,000 कारों की बुकिंग होगी। फैक्ट्री के दरवाजे पर नैनो की कीमत 100,000 रुपये है और पहली खेप के लिए बुकिंग कराने वाले ग्राहकों को इतनी ही कीमत में नैनो मिलेगी। सबसे बड़ी बात ये कि किसी को भी एक से ज्यादा नैनो नहीं दी जाएगी। अगर आपने कार बुक कर भी दी है तो भी ये गारंटी नहीं कि पहली बार में ही आप कार के मालिक भी बन जाएं। बुकिंग बंद होने के 60 दिन के भीतर टाटा मोटर्स एक लाख उन भाग्यशाली लोगों के नाम का ऐलान करेगी जिनका नाम लॉटरी में निकला होगा। एक बार आपके नाम नैनो अलॉट होने के बाद आपको घर तक इसे पहुंचने में दो महीने लग जाएंगे।

क्या हैं नैनो की खूबियां
नैनो कार की लंबाई 3.1 मीटर, चौड़ाई 1.5 मीटर और ऊंचाई 1.6 मीटर है। इंजन एल्युमिनियम निर्मित है। इंजन 33 बीएचपी, 623 सीसी मल्टी प्वाइंट फ्यूल इंजेक्शन पेट्रोल इंजन है। स्टैंडर्ड मॉडल के रंग रेसिंग रेड, लाइम यलो, आइवरी ब्ल्यू और इंक ब्ल्यू और लक्जरी मॉडल के लिए रंग आइवरी व्हाइट, एप्पल ग्रीन, लावा ग्रे, लुनर सिल्वर और लैगून ब्ल्यू हैं। नैनो भारतीय सुरक्षा नियमों पर पूरी तरह खरी उतरती है। 18 महीने की गारंटी या 24 हजार किलोमीटर (जो भी पहले हो) ये उपलब्ध होगी।
तो नैनो की इतनी खूबियां जानने के बाद आप भी नैनो खरीदने के लिए लाइन पर है क्या?

Thursday, March 19, 2009

उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीट की नई परिसीमन का क़माल

उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीट की नई परिसीमन ने राज्य के चुनावी भूगोल को इस तरह बदल दिया है कि अब किसी एक क्षेत्र के सहारे चुनावी को नैया पार लगाना मुश्किल है। बदले हालात में उत्तराखंड का राजनीतिक मुकाबला एक ही तरह की पिच पर होना है। कुमाऊं, गढ़वाल व हरिद्वार की राजनीतिक निर्भरता एक-दूसरे पर बढ़ गई है। अब हरिद्वार व टिहरी सीट को आपस मे देहरादून जोड़ रहा है। पौड़ी सीट गढ़वाल व कुमाऊं को जोड़ने के साथ ही टिहरी तक फैल गई है। नैनीताल की पहाड़ियों का राजनीतिक सरोकार उधमसिंहनगर के मैदानों तक पहुंचा है। नये आयाम ले चुकी लोकसभा सीटों से मंजिल तक पहुंचने के लिए अब राजनीति को भी बदलने की मजबूरी आन पड़ी है। हर क्षेत्र में जाकर केवल वहां की बात करने से काम चलने वाला नहीं है। हर चार कोस पर बोली और हर कोस पर मिजाज बदलेगा, लेकिन चुनावी धरातल में कोई अंतर नहीं आएगा। पहाड़ व मैदान का अंतर नए परिसीमन ने काफी हद तक पाट दिया है। अब राजनेताओं को भी अपने राजनीतिक व्यवहार पर नए सिरे से पुनर्विचार करना होगा। राज्य की पांच लोकसभा सीटों की सूरत के साथ सीरत पर भी असर पड़ा है। सामाजिक आधार पर पौड़ी व अल्मोड़ा सीट का चेहरा काफी हद तक एक जैसा दिखाई देता है। दोनों सीटों पर ब्राह्मण, राजपूत, अनुसूचित जाति व जनजाति के मतदाता अधिक हैं। पहाड़ी क्षेत्रों की भरमार है। सीमांत इलाकों की अलग चुनौतियां रहेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों तक जाना आसान नहीं होगा। पौड़ी सीट के अंतर्गत पांच जिलों की विधानसभाएं शामिल हैं, जिनकी अलग-अलग जरूरतें हैं। रामनगर के सामाजिक समीकरण कुछ अलग होंगे। इसी तरह अल्मोड़ा सीट में चार जिलों की नब्ज अलग तरीके से चलेगी। हरिद्वार व नैनीताल सीट की जो शक्ल उभरी है, उसमें एकरूपता अधिक है। हरिद्वार में सैनी, मुस्लिम, दलित व वैश्य बड़ी संख्या में हैं। ब्राह्मण व राजपूत मतदाताओं पर भी नजर रखनी होगी। देहरादून की तीन विधानसभा इस क्षेत्र में नई हैं, जो कोई नया गुल खिला सकती हैं। शहरी क्षेत्र व ग्रामीण क्षेत्रों का मूड अलग रहेगा। पंडा समाज को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। नैनीताल में मुस्लिम, सिक्ख, बंगाली, अनुसूचित जाति, जनजाति, राजपूत व ब्राह्मणों की भूमिका अहम रहेगी। उधमसिंह नगर में मुस्लिम, दलित, बंगाली व जनजाति अधिक हैं तो नैनीताल जनपद में ब्राह्मण व राजपूत। ऐसे में सभी समुदायों को पक्ष में करने की कड़ी चुनौती पेश आएगी। टिहरी सीट पर जौनसार, चकराता, टिहरी, उत्तरकाशी व देहरादून के शहरी क्षेत्रों का बिलकुल अलग तरह का वातावरण है। जौनसार की आवाज अलग होगी तो देहरादून के स्वर तल्ख होंगे। टिहरी अलग भाषा बोलेगा तो उत्तरकाशी नए अंदाज में दिखेगा। इस सीट पर ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम, गोरखा, जनजाति, अनुसूचित जाति तथा वैश्य मतदाता खासी संख्या में हैं। क्षेत्र के लिहाज से भी इसमें एकरूपता नहीं है। इस बार के चुनाव में कुमाऊं और गढ़वाल के इलाके एक दुसरे से मिल रहे है इसका फायदा कौन उठाता है ये देखना भी दिलचस्प होगा।


लिया गया: दनिक जागरण

Tuesday, March 17, 2009

टाटा मोटर्स की लखटकिया कार नैनो






टाटा मोटर्स की १ लाख रुपये की कार नानो का लॉंच दिनांक २३.०..२०००९ को मुंबई पारसी जिमखाना ग्राउंड, मैरीन ड्राइव में किया जाएगा। नैनो की बुकिंग अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू होगी। डीलरों के पास यह अप्रैल के पहले हफ्ते तक पहुंचा दी जाएगी। बुकिंग की रकम समेत बाकी प्रक्रिया का ब्योरा कंपनी 23 मार्च को नैनो की लांचिंग के दौरान घोषित करगी।

प्रतिमाह बनेंगी 3 हजार नैनो
कंपनी का लक्ष्य प्रतिमाह तीन हजार नैनो कार का निर्माण करना है। फिलहाल पंत नगर में कंपनी ने अपना प्लांट लगाया हुआ है और नए प्लांट की तैयारी सारण में चल रही है जिसे पूरा होने में अभी काफी वक्त लगेगा। इस लिहाज से आम आदमी के लिए नैनो अगले वर्ष अप्रैल-मई में ही उपलब्ध हो पाएगी।

लाख से कुछ मंहगी होगी लखटकिया
वैसे तो एक लाख की कीमत होने के कारण ही नैनो को लखटकिया नाम दिया गया था, लेकिन इसकी फाइनल कीमत एक लाख से कुछ ज्यादा की होगी। नैनो की फैक्ट्री कीमत ही एक लाख रुपए है, लेकिन ग्राहकों को इस पर वैट, ट्रांसपोर्ट चार्ज, रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस का खर्च भी उठाना पड़ेगा, जिससे इसकी कीमत करीब एक लाख 30 हजार हो जाएगी।

अभी मेरे जैसे लोगो को अभी एक या दो साल का इंतजार करना पड़ सकता है नेनो कार खरीदने के लिए, वेसे क्या आप भी खरीदना चाहते है नैनो को तो इंतजार करिए २३ मार्च का .....................


ग्वेल देवता


ग्वेल देवता (गोलू देव) उत्तराखंड राज्य के कुमायुँ के एक इतिहास देवता है । कहा जाता है की ये चमपावत के चंद राजा के पुत्र थे। इन्हे न्याय का प्रतिक माना जाता है। इनके बारे मै यह मान्यता है की जिसको कही पर भी न्याय नही मिले वो इनके दरवार मै अरजी लगाये तो उससे तुरन्त न्याय मिल जाता है।


ग्वेल देवता के कुमायुँ मै अनेक स्थानों मै मन्दिर है जहा पर लोग अपपनी अर्जी लगा कर न्याय मांगते है,


चेतईगोलू देव मन्दिर अल्मोरा

चम्पावत गोलू मन्दिर

३ घोराखाल गोलू मन्दिर

तारीखेत गोलू मन्दिर


जय हो जय हो गोलू देव की

बाबा गोरिया सबकी रक्षा करना।